मूल्य अनुशीलन केंद्र

चन्द्रकान्ता महाविद्यालय

आज संसार में अनेक देश है और प्रत्येक राष्ट्र की अपनी एक विशिष्टता है, यह विशिष्टता उस देश के लोगों द्वारा निर्मित्त है। क्योंकि कोई भी देश वहाँ बसे व्यक्तियों से बना है, जिस प्रकार एक-एक ईंट से मकान बनता है, और यह ईंट जितनी मजबूत होगी मकान उतना ही मजबूत होगा। उसी प्रकार जब तक एक-एक व्यक्ति शिक्षित नहीं होगे। वह देश मजबूत कैसे होगा? क्योंकि शिक्षा ही वह माध्यम है, जो एक व्यक्ति का सर्वांगीण विकास कर सकता है और जिस देश के नागरिक सुशिक्षित व प्रतिभा सम्पन्न होंगे वह राष्ट्र खुद व खुद उन्नति के पथ पर अग्रसर होता जाएगा। कोठारी शिक्षा आयोग ने इस सन्दर्भ में मत व्यक्त किया है, भारत के भाग्य का निर्माण उसकी कक्षाओं में हो रहा है। विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से निकलने वाले विद्यार्थियों की योग्यता और संख्या पर ही राष्ट्रीय निर्माण की उस महत्त्वपूर्ण कार्य की सफलता निर्भर करेगी जिनसे हमारे रहन-सहन का स्तर उच्च हो सकेगा।

इसलिए यह दायित्व महाविद्यालय पर और भी बढ़ जाता है। इन महाविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थी हमारे देश की नींव हैं और इन विद्यालयों द्वारा विद्यार्थियों को प्रदत्त ज्ञान जितना उन्नत होगा हमारा देश उतनी ही तीव्रता से उन्नति के मार्ग पर प्रशस्त होगा। जिसकी कामना हम सभी भारतवासी मिलकर करते हैं जैसा कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त उद्धृत करते हैं -

सभी बातों में संयम सीखो। वाणी में संयम, भोजन में संयम रखो और अपने सभी कर्मों में शीलवान बनो। शील ही से मनुष्य मनुष्य बनता है। शीलं परम भूषणम् । Manner Make the man- शील ही पुरूष का सबसे उत्तम भूषण है। Pure conduct is the best ornament. कठोर काम में अनवरत लगे रहने का अभ्यास डालो। पढ़ते समय सारी दुनियां को एक ओर रख दो और पुस्तकों में, लेखक की विचारधारा में डूब जाओ-यही तुम्हारी समाधि है, यही तुम्हारी उपासना है, यही तुम्हारी पूजा है। "work is worship" का मोटो कमरे में लगा लो। कठिन परिश्रम करना सीखो। खूब गढ़ कर, जम कर मेहनत करो और अपने उच्च और पवित्र आदर्श को कभी न भूलो। शास्त्र और शस्त्र, बुद्धि-बल और बाहु-बल दोनों का उपार्जन करो। सादा जीवन और उच्च विचार का आदर्श न भूलो।

प्राचार्य
डॉ. विप्लव
Phone : +91 9412585131